New agricultural laws - why are farmers protesting?
हर परिवर्तन को सुधार नहीं कहा जा सकता है।
Not every change can be called an improvement.
कुछ विनाश का कारण भी बन सकता है। देश ने एटिहासिक सुधार के नाम पर नोटबंदी को झेला और भयावह परिणाम देखने को मिला। इस एक कदम से सैकड़ों लोगों और लाखों जिंदगियां खत्म हो गईं। GST को भारत की आर्थिक आजादी के रूप में दिखाया गया। दो प्रतिशत GDP बढ़ाने का दावा किया गया।
बिहार का उदाहरण है
सरकार कह रही है कि निजी क्षेत्र के आने से किसानों को लंबे समय में फायदा होगा। यह केबल विज्ञापन नीति है। लेकिन, बिहार में सरकारी मंडी व्यवस्था तो 2006 में ही खत्म हो गई थी। 14 साल बीत गए।
किसानों को आज सबसे कम कीमत पर फसल बेचनी पड़ रही है? अगर इसके बाद कृषि क्रांति आ गई थी तो मजदूरों के पलायन का सबसे दर्दनाक पहलू यहीं क्यों दिखा रहा है? बिहार कृषि आय में अग्रणी राज्य क्यों नहीं बना? क्यों नहीं किसानों की आत्महत्याएं रुकीं?
प्रश्न बहुत है पर जबाब नहीं है?